बाइबिल अनुवाद की नींव
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यह बुनियादी प्रमाणपत्र कार्यक्रम एक परिचय और भाषा, संवाद, तथा अनुवाद का एक संक्षिप्त विवरण प्रदान करता है, जिसका उद्देश्य नये अनुवादकों को वृतान्त-लेख का एक प्रथम सहज प्रारूप बनाने के लिए सक्षम बनाना है। इसमें अनुवाद के इतिहास, परमेश्वर की सेवकाई में उसके स्थान, अनुवाद करने वाले प्रत्येक दल के लिए आवश्यक विशिष्ट कार्य, औरों के साथ अच्छे से मिलजुल कर कार्य करने का महत्व, उपकरणों और अन्य संसाधनों का उपयोग करना, और अनुवाद की प्रक्रिया के प्रत्येक चरण में समुदाय को सम्मिलित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। अन्तिम शिरोमणि परियोजना के समय, सीखने वालों को एक अवसर मिलेगा कि वे अनुवाद करने का एक खाका बनाएँ और रूत की पुस्तक से एक अध्याय का अनुवाद करें, जिसकी समीक्षा और आकलन संगी लोगों के द्वारा किया जाएगा।
प्रमाणपत्र शिक्षण के उद्देश्य
भाषा और अनुवाद के बारे में पर्याप्त जानकारी प्राप्त करना जिससे कि वृतान्त-लेख का एक प्रथम सहज प्रारूप बनाने में सक्षम हुआ जा सके। इसमें निम्नलिखित बातें सम्मिलित हैं:
- समझ-बूझ के साथ मूल लेख को पढ़ने में सक्षम बन सकें (LWC या किसी अन्य अनुवाद से)
- बाइबल की भाषाओं के बारे में कुछ जानकारी प्राप्त हो और भाषा के स्वरूप और रचना में भिन्नताओं के प्रति संवेदनशील बन सकें
- जिस भाषा में अनुवाद किया जाना है, उस के बारे में पर्याप्त जानकारी हो, और/या अपनी ही रीति से अर्थ को सहज भाषा में व्यक्त करने में सक्षम बन सकें
- अनुवाद के लिए मौखिक कौशल के प्रति संवेदनशीलता विकसित कर सकें
- संवाद और अनुवाद में होने वाली संभावित समस्याओं के बारे में जानकारी हो
- अनुवाद करने में होने वाली समस्याओं और चुनौतियों का सामना करना सीख सकें
- यह समझ सकें कि अनुवाद करने का एक विशिष्ट उद्देश्य भी हो सकता है, जैसा कि अनुवाद के “खाके” में दिया गया है
- अनुवाद के विभिन्न तौर-तरीकों को समझ सकें